



उपायुक्त की अध्यक्षता में अधिकारियों ने लिया संकल्प
धनबाद: संविधान दिवस के अवसर पर समाहरणालय के सभागार में उपायुक्त सह जिला दंडाधिकारी माधवी मिश्रा की अध्यक्षता में वरीय प्रशासनिक अधिकारियों और समाहरणालय के कर्मियों ने भारतीय संविधान की प्रस्तावना का सामूहिक वाचन किया। इस अवसर पर सभी उपस्थित लोगों ने संविधान की प्रस्तावना का गहरे श्रद्धा और सम्मान के साथ पाठ किया, जो कि भारतीय संविधान की बुनियाद और मूल सिद्धांतों का परिचायक है।
समारोह की शुरुआत में उपायुक्त माधवी मिश्रा ने संविधान की प्रस्तावना का पाठ कराया और उसके महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि संविधान दिवस हमारे संविधान की महानता को समझने और उस पर चलने का एक सुनहरा अवसर है। “हमारे स्वतंत्रता सेनानियों और संविधान सभा के महान नेताओं ने जिस सशक्त दृष्टिकोण से भारतीय संविधान का निर्माण किया, उसका उद्देश्य समानता, स्वतंत्रता, भाईचारे और न्याय का अधिकार सुनिश्चित करना था। हमें इसे अपनी दिनचर्या में अपनाने और इसके उद्देश्यों को पूरी निष्ठा के साथ पालन करने की आवश्यकता है।”
उपायुक्त ने आगे कहा कि भारतीय संविधान में दिए गए मौलिक अधिकार और कर्तव्यों का पालन हम सभी का प्राथमिक दायित्व है। “संविधान का पठन और अध्ययन न केवल हमारे अधिकारों की जानकारी देता है, बल्कि हमें अपने कर्तव्यों का भी बोध कराता है। यदि हम संविधान के मूल उद्देश्यों को समझ कर उस पर चलें, तो हम न केवल अपने व्यक्तिगत जीवन में सुधार कर सकते हैं, बल्कि राष्ट्र के निर्माण में भी योगदान दे सकते हैं।”
उपायुक्त ने सभी अधिकारियों और कर्मचारियों से यह अपील की कि वे संविधान के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाएं और संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित करते हुए समाज में व्याप्त असमानताओं और भेदभाव को समाप्त करने में अपना योगदान दें।
कार्यक्रम में उप विकास आयुक्त सादात अनवर, एडीएम लॉ एंड ऑर्डर पीयूष सिन्हा, जिला समाज कल्याण पदाधिकारी अनीता कुजूर, सहायक निदेशक सामाजिक सुरक्षा नियाज़ अहमद सहित विभिन्न विभागों के प्रधान सहायक और समाहरणालय के कर्मी उपस्थित थे। इन सभी ने मिलकर संविधान के प्रति अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए संविधान के उद्देश्यों को अपने जीवन में उतारने का संकल्प लिया।
समारोह का समापन संविधान की प्रस्तावना के पाठ के बाद राष्ट्रगान से हुआ। इस अवसर पर सभी ने देश की एकता, अखंडता और समाज में समानता की भावना को मजबूत करने का संकल्प लिया।
संविधान दिवस के इस आयोजन ने यह संदेश दिया कि केवल अधिकारों का ही नहीं, बल्कि कर्तव्यों का भी सम्मान करना चाहिए, ताकि हम अपने संविधान के प्रति सच्चे अर्थों में कृतज्ञ रहें और एक न्यायपूर्ण समाज की दिशा में कदम बढ़ा सकें।
