



निरसा के सिनेमा मोड़ पर आज बांग्ला भाषा भाषी उन्नयन समिति के बैनर तले भारी संख्या में लोग जुटे और सांसद ढुल्लू महतो के खिलाफ प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने सांसद द्वारा की गई टिप्पणी पर नाराजगी जताते हुए उनका पुतला जलाया। बांग्ला समाज के लोग सांसद के बयान को अपमानजनक मानते हुए उनसे सार्वजनिक रूप से माफी मांगने की मांग कर रहे हैं।
क्या है विवाद?
दो दिन पहले, सांसद ढुल्लू महतो ने निरसा के गोपीनाथपुर में एक सभा को संबोधित करते हुए निरसा के विधायक अरूप चटर्जी को “बांग्ला भाषा भाषी” और “बांग्लादेशी” कहकर संबोधित किया था। इस बयान ने बांग्ला समाज के लोगों को गहरे आहत किया। बांग्ला भाषा भाषी उन्नयन समिति का कहना है कि इस टिप्पणी ने पूरे बांग्ला समाज का अपमान किया है, जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
समाज का गुस्सा और प्रतिक्रिया
सांसद की टिप्पणी के विरोध में आज पूरे जिले में प्रदर्शन किया गया। निरसा में बांग्ला भाषा भाषी उन्नयन समिति के नेतृत्व में प्रदर्शनकारियों ने कहा:
“बांग्ला हमारी मातृभाषा है और यह झारखंड का अभिन्न हिस्सा है। हम यहां के स्थायी निवासी हैं। ढुल्लू महतो बाहरी हैं। ऐसे में वे किसी को बांग्लादेशी कहने का अधिकार नहीं रखते।”
प्रदर्शनकारियों ने चेतावनी दी कि अगर सांसद ने सार्वजनिक रूप से माफी नहीं मांगी, तो विरोध प्रदर्शन तेज किया जाएगा।
पुतला दहन और मांगें
प्रदर्शनकारियों ने सिनेमा मोड़ पर सांसद ढुल्लू महतो का पुतला दहन किया और नारेबाजी की। प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे समिति के सदस्यों ने कहा:
- सांसद को तुरंत सार्वजनिक मंच पर आकर माफी मांगनी चाहिए।
- अगर माफी नहीं मांगी गई, तो सड़क से सदन तक विरोध जारी रहेगा।
- अपमानजनक बयान के लिए सांसद पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
बांग्ला समाज का आक्रोश
समिति के सदस्यों ने कहा कि बांग्ला झारखंड की महत्वपूर्ण भाषाओं में से एक है और इसका अपमान करना पूरे समाज का अपमान है।
“हम यहां कई पीढ़ियों से रह रहे हैं। हमारी संस्कृति, भाषा, और पहचान का इस तरह अपमान बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।”
भविष्य की रणनीति
समिति ने स्पष्ट कर दिया है कि यह विरोध तब तक जारी रहेगा, जब तक सांसद ढुल्लू महतो माफी नहीं मांगते।
“अगर हमें जरूरत पड़ी तो राज्यभर में आंदोलन किया जाएगा और इस मुद्दे को सदन तक ले जाया जाएगा,” समिति के प्रवक्ता ने कहा।
सांसद की सफाई का इंतजार
सांसद ढुल्लू महतो की तरफ से इस विवाद पर अभी तक कोई सफाई नहीं आई है। यह देखना बाकी है कि वे इस पर क्या प्रतिक्रिया देते हैं।
यह मामला सिर्फ एक विवादित बयान का नहीं, बल्कि भाषा, संस्कृति, और पहचान से जुड़े सवालों का है। सांसद ढुल्लू महतो की टिप्पणी ने एक बड़े सामाजिक विवाद को जन्म दिया है, जो झारखंड के बहुभाषी और बहुसांस्कृतिक समाज में एक नई बहस को जन्म दे सकता है। अब यह देखना अहम होगा कि सांसद और प्रशासन इस मुद्दे पर कैसे प्रतिक्रिया देते हैं।
